देशभर में हनुमान जयंती धूमधाम से मनाई गयी। इस विशेष अवसर पर हनुमान जी के परम भक्त हृदय राम भल्ला की अद्भुत भक्ति और बलिदान को स्मरण कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित किया जाना चाहिए। हृदय राम भल्ला को, जिनकी कहानी इतिहास के पन्नों में गूंजती है, मुग़ल बादशाह जहाँगीर द्वारा चिलचिलाती धूप में एक काँच के महल में बंदी बना लिया गया था। सभी कठिनाइयों और कष्टों के बावजूद वह धर्मनिष्ठ एवं अपने लक्ष्य से अडिग बने रहें। उनका विश्वास एक क्षण के लिए भी डगमगाया नहीं। उनके जीवन की सबसे महत्वपूर्ण घटना तब घटी जब उन्होंने “हनुमान नाटक” की रचना की। ऐसा माना जाता है कि यह नाट्य स्वयं परमात्मा द्वारा निर्देशित किया गया है। कहा भी जाता है कि, हनुमान जी भल्ला की आंखों को तेज धूप से बचाने के लिए उन्हें केले के पत्ते देने हेतु प्रकट हुए थे। माना जाता है की “हनुमान नाटक” को लिखने के लिए हनुमान जी ने ही स्वयं भल्ला को आवश्यक उपकरण, कलम इत्यादि दिए थे। १९वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में एक प्रसिद्ध अश्ममुद्रण में हनुमान जी को हृदय राम भल्ला को गाथा सुनाते हुए दिखाया गया है।